मैं नहीं कहता कि दुनिया को बदल कर राह चल

मैं नहीं कहता कि दुनिया को बदल कर राह चल

ख़ार हैं पैराहन-ए-गुल में सँभल कर राह चल

दूर है मुल्क-ए-अदम और तुझ में दम बाक़ी नहीं

हो सके तो बस यूँही करवट बदल कर राह चल

तालिब-ए-मंज़िल है फिर उज़्लत-नशीनी किस लिए

रह-रवों को देख ले घर से निकल कर राह चल

कू-ए-जानाँ में ज़माना हो गया रोते हुए

ता-कुजा दिल का तअस्सुफ़ हाथ मल कर राह चल

यूँ रसाई ता-सहर मुमकिन नहीं ऐ दिल मगर

शम्अ की सूरत शब-ए-ग़म में पिघल कर राह चल

(558) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Saqib Lakhnavi. is written by Saqib Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Saqib Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.