आप उठ रहे हैं क्यूँ मिरे आज़ार देख कर
दिल डूबते हैं हालत-ए-बीमार देख कर
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Parveen Shakir
Wasi Shah
Javed Akhtar
Anwar Masood
Gulzar
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(574) Peoples Rate This
हिज्र की शब नाला-ए-दिल वो सदा देने लगे
हज़ार फूल लिए मौसम-ए-बहार आए
बाग़बाँ ने आग दी जब आशियाने को मिरे
ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा था
अपने दिल-ए-बेताब से मैं ख़ुद हूँ परेशाँ
यूँ अकेला दश्त-ए-ग़ुर्बत में दिल-ए-नाकाम था
इबरत-ए-दहर हो गया जब से छुपा मज़ार में
मुट्ठियों में ख़ाक ले कर दोस्त आए वक़्त-ए-दफ़्न
मैं नहीं कहता कि दुनिया को बदल कर राह चल
वस्ल की उम्मीद बढ़ते बढ़ते थक कर रह गई