इक न आने वाले का इंतिज़ार करते हैं

इक न आने वाले का इंतिज़ार करते हैं

शम-ए-रह-गुज़र हैं हम रोज़ बुझते-जलते हैं

मेरे कुछ न कहने को हर्फ़-ए-आरज़ू समझो

ख़ामुशी में भी मा'नी कुछ न कुछ निकलते हैं

एक नश्शा रहता है तुझ से मिल के पहरों तक

नश्शा जब नहीं होता और हम बहकते हैं

राह-ए-दर्द में कोई हम-सफ़र नहीं होता

अपनी आग में ख़ुद ही शम्अ' साँ पिघलते हैं

देखना है कौन 'इश्क़ी' साथ दे सर-ए-मंज़िल

इब्तिदा में तो सब ही साथ साथ चलते हैं

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In Hindi By Famous Poet Shahid Ishqi. is written by Shahid Ishqi. Complete Poem in Hindi by Shahid Ishqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.