माइल-ब-करम हैं रातें
आँखों से कहो अब माँगें
ख़्वाबों के सिवा जो चाहें
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Wasi Shah
Parveen Shakir
Love Poetry
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने
आसमाँ कुछ भी नहीं अब तेरे करने के लिए
सभी को ग़म है समुंदर के ख़ुश्क होने का
उस को किसी के वास्ते बे-ताब देखते
नए अहद का नया सवाल
बताऊँ किस तरह अहबाब को आँखें जो ऐसी हैं
दयार-ए-दिल न रहा बज़्म-ए-दोस्ताँ न रही
ज़मीं से ता-ब-फ़लक धुँद की ख़ुदाई है
बे-नाम से इक ख़ौफ़ से दिल क्यूँ है परेशाँ
नहीं रोक सकोगे जिस्म की इन परवाजों को
मैं अकेला सही मगर कब तक
अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारो