एक ही मिट्टी से हम दोनों बने हैं लेकिन
तुझ में और मुझ में मगर फ़ासला यूँ कितना है
Gulzar
Anwar Masood
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Javed Akhtar
Habib Jalib
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(412) Peoples Rate This
ये जगह अहल-ए-जुनूँ अब नहीं रहने वाली
साए
अहद-ए-हाज़िर की दिल-रुबा मख़्लूक़
पल भर में कैसे लोग बदल जाते हैं यहाँ
कहने को तो हर बात कही तेरे मुक़ाबिल
शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को
तुझ से बिछड़े हैं तो अब किस से मिलाती है हमें
हुजूम-ए-दर्द मिला ज़िंदगी अज़ाब हुई
जहाँ में होने को ऐ दोस्त यूँ तो सब होगा
उम्र का बाक़ी सफ़र करना है इस शर्त के साथ
आख़िरी साँस
नया उफ़क़