हम बहुत देखे फ़रंगिस्तान के हुस्न-ए-सबीह
चर्ब है सब पर बुतान-ए-हिन्द का रंग-ए-मलीह
Anwar Masood
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Gulzar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(381) Peoples Rate This
जिस ने पाया उसे सो है ख़ामोश
मुझे क्या देख कर तू तक रहा है
कोहकन जाँ-कनी है मुश्किल काम
ऐ दिल न कर तू फ़िक्र पड़ेगा बला के हाथ
जो मय-ख़ाने में जाता था क़दम रखते झिझकता था
गज़क की इस क़दर ऐ मस्त तुझ को क्या शिताबी है
चमन ख़राब किया, हो ख़िज़ाँ का ख़ाना-ख़राब
इस दौर के असर का जो पूछो बयाँ नहीं
नमक-ए-हुस्न का सुनता हूँ तिरे जूँ जूँ शोर
एहसान तिरा दिल मिरा क्या याद करेगा
क्या बड़ा ऐब है इस जामा-ए-उर्यानी में
रखे है शीशा मिरा संग साथ रब्त-ए-क़दीम