जो मय-ख़ाने में जाता था क़दम रखते झिझकता था

जो मय-ख़ाने में जाता था क़दम रखते झिझकता था

कि साग़र आँख दिखलाता था और शीशा भभकता था

तमाशा हो रहा था अब्र में रोने से क्या मेरे

उधर पानी बरसता था इधर लोहू टपकता था

बड़ा एहसाँ किया जो दिल को मेरे खींच कर काढ़ा

कि मुद्दत से मिरे सीने में जूँ काँटा खटकता था

तिरे कूचे में मैं ने आज दश्त-ए-कर्बला देखा

कोई मारा पड़ा था और पड़ा कोई सिसकता था

गया था तेलिया कपड़ों से तू आईना-ख़ाने में

कि अब तक ख़ाना-ए-आईना उस बू से महकता था

मज़ा लेने के तईं शीरीं-मक़ाली का तिरी 'हातिम'

खड़ा मुँह को अदब से दूर नादीदा सा तकता था

(391) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shaikh Zahuruddin Hatim. is written by Shaikh Zahuruddin Hatim. Complete Poem in Hindi by Shaikh Zahuruddin Hatim. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.