कोई भूला हुआ चेहरा नज़र आए शायद
आईना ग़ौर से तू ने कभी देखा ही नहीं
Rahat Indori
Gulzar
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(700) Peoples Rate This
इंदिमाल
शफ़क़ जो रू-ए-सहर पर गुलाल मलने लगी
आ के पत्थर तो मिरे सहन में दो चार गिरे
दश्त ओ सहरा अगर बसाए हैं
मुझे गिरना है तो मैं अपने ही क़दमों में गिरूँ
सर-ए-रह अब न यूँ मुझ को पुकारो तुम ही आ जाओ
मैं शाख़ से उड़ा था सितारों की आस में
दर्द के मौसम का क्या होगा असर अंजान पर
ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे
बद-क़िस्मती को ये भी गवारा न हो सका
ख़्वाब-ए-गुल-रंग के अंजाम पे रोना आया
जिस दम क़फ़स में मौसम-ए-गुल की ख़बर गई