मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
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हज़ार क़ैद-ए-जवाँ से छुट कर बहार का आसरा करेंगे
दूर हैं वो और कितनी दूर
उन के बग़ैर हम जो गुलिस्ताँ में आ गए
कब तक 'शकील' दिल को दुआ कीजिएगा आप
बे-तअल्लुक़ तिरे आगे से गुज़र जाता है
फ़रेब-ए-मोहब्बत से ग़ाफ़िल नहीं हूँ
जज़्बात की रौ में बह गया हूँ
ग़म से कहाँ ऐ इश्क़ मफ़र है
सर-निगूँ कर ही दिया शौक़-ए-जबीं-साई ने
क्या हसीं ख़्वाब मोहब्बत ने दिखाया था हमें
कहीं हुस्न का तक़ाज़ा कहीं वक़्त के इशारे
शिकवा-ए-इज़्तिराब कौन करे