दिखाने को नहीं हम मुज़्तरिब हालत ही ऐसी है
मसल है रो रहे हो क्यूँ कहा सूरत ही ऐसी है
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Habib Jalib
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(552) Peoples Rate This
मज़ा था हम को जो लैला से दू-ब-दू करते
क्या देखता है हाथ मिरा छोड़ दे तबीब
चुपके चुपके ग़म का खाना कोई हम से सीख जाए
लाई हयात आए क़ज़ा ले चली चले
रहता सुख़न से नाम क़यामत तलक है 'ज़ौक़'
जो कुछ कि है दुनिया में वो इंसाँ के लिए है
मार कर तीर जो वो दिलबर-ए-जानी माँगे
मज़े जो मौत के आशिक़ बयाँ कभू करते
गया शैतान मारा एक सज्दा के न करने में
कहाँ तलक कहूँ साक़ी कि ला शराब तो दे
हाथ सीने पे मिरे रख के किधर देखते हो
दुनिया ने किस का राह-ए-फ़ना में दिया है साथ