मोहब्बत मअ'नी ओ अल्फ़ाज़ में लाई नहीं जाती
ये वो नाज़ुक हक़ीक़त है जो समझाई नहीं जाती
Wasi Shah
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(742) Peoples Rate This
अभी तो दिल में हल्की सी ख़लिश महसूस होती है
क़यामत है ये कह के उस ने लौटाया है क़ासिद को
बराबर ख़फ़ा हों बराबर मनाएँ
क़यामत है ये कह कर उस ने लौटाया है क़ासिद को
तमन्ना है यही दिल की वहीं चलिए वहीं चलिए
क़त्अ होती जा रही हैं ज़िंदगी की मंज़िलें
हंगामा है न फ़ित्ना-ए-दौराँ है आज-कल
सोज़-ए-अलम से दूर हुआ जा रहा हूँ मैं
उस नज़र की शराब पीता हूँ
ये बाज़ी मोहब्बत की बाज़ी है नादाँ
ज़हे-ए-कोशिश-ए-कामयाब-ए-मोहब्बत