मुश्ताक़ हूँ तुझ लब की फ़साहत का व-लेकिन
'राँझा' के नसीबों में कहाँ 'हीर' की आवाज़
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सुनो तो ख़ूब है टुक कान धर मेरा सुख़न प्यारे
तिरी अबरू है मेहराब-ए-मोहब्बत
क्यूँकि होवे ज़ाहिद ख़ुद-बीं मुरीद-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार
मस्जिद में तुझ भँवों की ऐ क़िबला-ए-दिल-ओ-जाँ
वो आशिक़ी के खेत में साबित क़दम हुआ
ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रही
सुना है जब सीं तेरे हुस्न का शोर
आ शिताबी सीं वगर्ना मज्लिस-ए-उश्शाक़ में
हुआ हूँ इन दिनों माइल किसी का
अदा-ए-दिल-फ़रेब-ए-सर्व-क़ामत
मिरा दिल नहीं है मेरे हात तुम बिन
इश्क़ में अव्वल फ़ना दरकार है