ख़ुदा ने इल्म ओ हिकमत से नवाज़ा
कि अपना बोझ तुम ख़ुद भी उठा लो
ख़ुदा-रा छोटी छोटी ख़्वाहिशों पर
ख़ुदा को आज़माइश में न डालो
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Gulzar
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
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ख़ुलासा ये मिरे हालात का है
यूँ क़त्ल-ए-आम नौ-ए-बशर कर दिया गया
अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ ईं क़दर मुझे
अद्ल
फ़र्द
उन का दरवाज़ा था मुझ से भी सिवा मुश्ताक़-ए-दीद
दर्द में लज़्ज़त बहुत अश्कों में रानाई बहुत
ख़ुदा-बंदा
ज़िंदगी है मुख़्तलिफ़ जज़्बों की हमवारी का नाम
दर्द में लज़्ज़त बहुत अश्कों में रा'नाई बहुत
मुझ से मत कर यार कुछ गुफ़्तार मैं रोज़े से हूँ
तन-आसानी नहीं जाती रिया-कारी नहीं जाती