तन-आसानी नहीं जाती रिया-कारी नहीं जाती
तन-आसानी नहीं जाती रिया-कारी नहीं जाती
मियाँ बरसों में ये सदियों की बीमारी नहीं जाती
जनाब-ए-शैख़ यूँ चलते हैं इल्म-ओ-फ़ज़्ल को ले कर
किसी ठेले से जैसे कोई अलमारी नहीं जाती
किताबें जिन के खुल जाने से आँखें बंद हो जाएँ
ये दानिश जिस के आ जाने से बेकारी नहीं जाती
मियाँ 'गुल-शेर' तुम भी तो हवा के रुख़ को पहचानो
जहाँ साड़ी चली जाती है फुलकारी नहीं जाती
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