बहन की इल्तिजा माँ की मोहब्बत साथ चलती है
वफ़ा-ए-दोस्ताँ बहर-ए-मशक़्कत साथ चलती है
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उन के फाटक में यूँ खड़े हैं हम
अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ ईं क़दर मुझे
उधार
हम ने कितने धोके में सब जीवन की बर्बादी की
यक़ीं के भी क्या क्या हिजाबात हैं
पुरानी मोटर
हज़रत-ए-इक़बाल का शाहीं तो हम से उड़ चुका
गा रहा हूँ ख़ामुशी में दर्द के नग़्मात मैं
यूँ क़त्ल-ए-आम नौ-ए-बशर कर दिया गया
ग़रीब-ख़ाना हमेशा से जेल-ख़ाना है
साहब की बिपता
मिलावट