उधार
ये कैसी गर्मा-गर्मी चल रही है अहल-ए-दानिश में
निज़ाम-ए-मम्लिकत किस ने बिगाड़ा है सँवारा था
हमारा मुल्क अगर क़र्ज़े में जकड़ा है तो क्या हैरत
हमारे मुल्क का तो इक वज़ीर-ए-आज़म उधारा था
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ये कैसी गर्मा-गर्मी चल रही है अहल-ए-दानिश में
निज़ाम-ए-मम्लिकत किस ने बिगाड़ा है सँवारा था
हमारा मुल्क अगर क़र्ज़े में जकड़ा है तो क्या हैरत
हमारे मुल्क का तो इक वज़ीर-ए-आज़म उधारा था
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