चीज़ मिलती है ज़र्फ़ की हद तक
अपना चमचा बड़ा करे कोई
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Habib Jalib
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Wasi Shah
Jaun Eliya
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
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मैं बताता हूँ ज़वाल-ए-अहल-ए-यूरोप का प्लान
ज़िंदगी है मुख़्तलिफ़ जज़्बों की हमवारी का नाम
मीरज़ा 'ग़ालिब'
अद्ल
मेरी बीवी क़ब्र में लेटी है जिस हंगाम से
जवाज़
यक़ीं के भी क्या क्या हिजाबात हैं
दर्द में लज़्ज़त बहुत अश्कों में रानाई बहुत
ख़ुलासा ये मिरे हालात का है
मेराज-ए-वफ़ा
तहलील
उन का दरवाज़ा था मुझ से भी सिवा मुश्ताक़-ए-दीद