ये हमारी वफ़ा की है मेराज
यार के पाँव के स्लीपर हैं
तेरे कूचे में यूँ खड़े हैं हम
जैसे हाकी के गोलकीपर हैं
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Gulzar
Anwar Masood
Rahat Indori
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Habib Jalib
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मैं बताता हूँ ज़वाल-ए-अहल-ए-यूरोप का प्लान
ख़ुदा-बंदा
तन-आसानी नहीं जाती रिया-कारी नहीं जाती
बहन की इल्तिजा माँ की मोहब्बत साथ चलती है
हँस मगर हँसने से पहले सोच ले
बड़ी हैरत से अरबाब-ए-वफ़ा को देखता हूँ मैं
अपने ज़र्फ़ अपनी तलब अपनी नज़र की बात है
अद्ल
चीज़ मिलती है ज़र्फ़ की हद तक
अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ ईं क़दर मुझे
यूँ क़त्ल-ए-आम नौ-ए-बशर कर दिया गया
हम ज़माने से फ़क़त हुस्न-ए-गुमाँ रखते हैं