ये जंग जीत है किस की ये हार किस की है
ये फ़ैसला मिरी टूटी कमान से होगा
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Jaun Eliya
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(600) Peoples Rate This
मैं ने बख़्श दी तिरी क्यूँ ख़ता तुझे इल्म है
हिज्र बख़्शा कभी विसाल दिया
वफ़ा का ज़िक्र छिड़ा था कि रात बीत गई
मकाँ से होगा कभी ला-मकान से होगा
बहार आने की उम्मीद के ख़ुमार में था
बहाऊँगा न मैं आँसू न मुस्कराउँगा
मोती नहीं हूँ रेत का ज़र्रा तो मैं भी हूँ
उतार लफ़्ज़ों का इक ज़ख़ीरा ग़ज़ल को ताज़ा ख़याल दे दे
मिरा बातिन मुझे हर पल नई दुनिया दिखाता है
फिर जो करने लगा है तू व'अदा
सफ़र में होती है पहचान कौन कैसा है