उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए
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मैं भी उसे खोने का हुनर सीख न पाया
तुम्हें ग़मों का समझना अगर न आएगा
चलो हम ही पहल कर दें कि हम से बद-गुमाँ क्यूँ हो
ख़्वाब नहीं देखा है
बेबसी
हम ये तो नहीं कहते कि हम तुझ से बड़े हैं
आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत है
सिर्फ़ तेरा नाम ले कर रह गया
वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े से
सभी रिश्ते गुलाबों की तरह ख़ुशबू नहीं देते
अदना सा बासी