हमें ख़बर थी बचाने का उस में यारा नहीं
सो हम भी डूब गए और उसे पुकारा नहीं
Jaun Eliya
Habib Jalib
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(813) Peoples Rate This
मिसाल-ए-अक्स मिरे आइने में ढलता रहा
जिस सम्त की हवा है उसी सम्त चल पड़ें
उस के शिकस्ता वार का भी रख लिया भरम
उस इमारत को गिरा दो जो नज़र आती है
अगर इतनी मुक़द्दम थी ज़रूरत रौशनी की
इतने आसूदा किनारे नहीं अच्छे लगते
मुसलसल एक ही तस्वीर चश्म-ए-तर में रही
हम ने किसी को अहद-ए-वफ़ा से रिहा किया
इतनी बे-रब्त कहानी नहीं अच्छी लगती
इक बे-पनाह रात का तन्हा जवाब था