लोग समझे अपनी सच्चाई की ख़ातिर जान दी
वर्ना हम तो जुर्म का इक़रार करने आए थे
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Jaun Eliya
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सात रंगों से बनी है याद ताज़ा
तिरा यक़ीन हूँ मैं कब से इस गुमान में था
शब के तारीक समुंदर से गुज़र आया हूँ
शो'ले से चटकते हैं हर साँस में ख़ुशबू के
टूटे तख़्ते पर समुंदर पार करने आए थे
बे-चराग़ाँ बस्तियों को ज़िंदगी दे
दिल में रख ज़ख़्म-ए-नवा राह में काम आएगा
फ़स्ल-ए-गुल को ज़िद है ज़ख़्म दिल का हरा कैसे हो
ख़्वाब रंगों से बनी है याद ताज़ा