बे-चराग़ाँ बस्तियों को ज़िंदगी दे
इक सितम ऐसा भी कर ईजाद ताज़ा
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दिल में रख ज़ख़्म-ए-नवा राह में काम आएगा
उभरते डूबते तारों के भेद खोलेगा
ख़्वाब रंगों से बनी है याद ताज़ा
सात रंगों से बनी है याद ताज़ा
टूटे तख़्ते पर समुंदर पार करने आए थे
शो'ले से चटकते हैं हर साँस में ख़ुशबू के
तिरा यक़ीन हूँ मैं कब से इस गुमान में था
चल पड़े हम दश्त-ए-बे-साया भी जंगल हो गया
लोग समझे अपनी सच्चाई की ख़ातिर जान दी