ख़ैर से रहता है रौशन नाम-ए-नेक
हश्र तक जलता है नेकी का चराग़
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Habib Jalib
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कुछ न कुछ रंज वो दे जाते हैं आते जाते
नसीहत-गरो दिल लगाया तो होता
क़हर है ज़हर है अग़्यार को लाना शब-ए-वस्ल
बुतों से बच के चलने पर भी आफ़त आ ही जाती है
जाते हो तुम जो रूठ के जाते हैं जी से हम
इश्क़ है इश्क़ तो इक रोज़ तमाशा होगा
है लुत्फ़ तग़ाफ़ुल में या जी के जलाने में
क्यूँ किसी से वफ़ा करे कोई
गेसू से अंबरी है सबा और सबा से हम
मिलने का नहीं रिज़्क़-ए-मुक़द्दर से सिवा और
पान बन बन के मिरी जान कहाँ जाते हैं
यूँ तो होते हैं मोहब्बत में जुनूँ के आसार