उजालों को ढूँडो सहर को पुकारो
अँधेरों में रोने से क्या फ़ाएदा है
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Anwar Masood
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Gulzar
Wasi Shah
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(974) Peoples Rate This
लब पर दिल की बात न आई
रग-ए-एहसास में नश्तर टूटा
तू ने नज़रों को बचा कर इस तरह देखा मुझे
मिरे जुनूँ में मिरी वफ़ा में ख़ुलूस की जब कमी मिलेगी
फ़रिश्ते इम्तिहान-ए-बंदगी में हम से कम निकले
यूँ हसरतों की गर्द में था दिल अटा हुआ
लो आज समुंदर के किनारे पे खड़ा हूँ
हुस्न है मोहब्बत है मौसम-ए-बहाराँ है
गो आज अँधेरा है कल होगा चराग़ाँ भी
नज़र नज़र से मिलाना कोई मज़ाक़ नहीं
जुनूँ पे अक़्ल का साया है देखिए क्या हो