इज़हार ना-रसा सही वो सूरत-ए-जमाल
आईना-ए-ख़याल में भी हू-ब-हू न थी
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ऐ दिल-नशीं तलाश तिरी कू-ब-कू न थी
अजब कशाकश-ए-बीम-ओ-रजा है तन्हाई
आज ही महफ़िल सर्द पड़ी है आज ही दर्द फ़रावाँ है
तुलूअ'
अब ये आँखें किसी तस्कीन से ताबिंदा नहीं
दूरी
देखें आईने के मानिंद सहें ग़म की तरह
सँभाला
दिखावा
सोज़-ए-दिल भी नहीं सुकूँ भी है
ये आँसू ये पशेमानी का इज़हार
निगाहों में ये क्या फ़रमा गई हो