अगर यूँही मुझे रक्खा गया अकेले में
बरामद और कोई इस मकान से होगा
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अजीब तौर की है अब के सरगिरानी मिरी
मकाँ-भर हम को वीरानी बहुत है
घर पहुँचता है कोई और हमारे जैसा
पस-ए-ग़ुबार मदद माँगते हैं पानी से
तिरी मोहब्बत में गुमरही का अजब नशा था
इश्क़ की जोत जगाने में बड़ी देर लगी
इस का मतलब है यहाँ अब कोई आएगा ज़रूर
दिल दुखों के हिसार में आया
मेरा रंज-ए-मुस्तक़िल भी जैसे कम सा हो गया
उसे मैं ने नहीं देखा
तिलिस्म-ए-ख़्वाब से मेरा बदन पत्थर नहीं होता
हम जुड़े रहते थे आबाद मकानों की तरह