ता-उम्र रहे हम गो सरगर्म-ए-अमल
हासिल न हुआ कुछ भी ब-जुज़ तूल-ए-अमल
वो कौन हैं जिन का हर मनोरथ सिद्ध हो
हर कोशिश बार-आवर हर काज सफल
Gulzar
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Habib Jalib
Anwar Masood
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ज़मीं-नज़ाद हैं लेकिन ज़माँ में रहते हैं
गो हम भी कुछ ऐसे उन से ख़ुरसंद नहीं
दिल है मिरा रमना-ए-ग़ज़ालान-ए-ख़याल
ताकीद करो ज़मज़मा-संजान-ए-चमन को
क़ज़ा से क़र्ज़ किस मुश्किल से ली उम्र-ए-बक़ा हम ने
कर लुत्फ़-ओ-मुदारा से दिल-ए-ख़ल्क़ को राम
हर बात है 'ख़ालिद' की ज़माने से निराली
मैं बात कौन से पैरा-ए-बयाँ में करूँ
जब भी करे यलग़ार अफ़्सुर्दा-दिली
फूली है शफ़क़ गो कि अभी शाम नहीं है
नख़चीर हूँ मैं कश्मकश-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र का
क़ुर्ब नस नस में आग भरता है