Sad Poetry of Abdul Mannan Tarzi
नाम | अब्दुल मन्नान तरज़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Mannan Tarzi |
जन्म की तारीख | 1940 |
जन्म स्थान | Darbhanga |
कविताएं
Ghazal 22
Couplets 2
Love 19
Sad 18
Heart Broken 15
Bewafa 2
Hope 11
Friendship 4
Islamic 2
Sufi 1
Social 1
ख्वाब 3
Sharab 2
सू-ए-सहरा ही चलें शायद रहें महफ़ूज़ कुछ
ज़लज़ले सख़्त आते रहे रात-भर
पुर्सिश है चश्म-ए-अश्क-फ़शाँ पर न आए हर्फ़
पा के तूफ़ाँ का इशारा दरिया
मुद्दआ'-ओ-आरज़ू शौक़-ए-तमन्ना आप हैं
मिरी निगाह को जल्वों का हौसला दे दो
मर जाएँगे पिंदार का सौदा न करेंगे
क्या यहाँ देखिए क्या वहाँ देखिए
ख़्वाब की बस्ती में अफ़्साने का घर
ख़ून जब अश्क में ढलता है ग़ज़ल होती है
खुली जब आँख तो देखा कि था बाज़ार का हल्क़ा
जब निगाह-ए-तलब मो'तबर हो गई
जब भी गुलशन में चली ठंडी हवा
हर वरक़ इक किताब हो जाए
हर आन नई शान है हर लम्हा नया है
दिल की पर्वाज़ है ला-मकाँ तक
अपने हालात का असीर हूँ मैं
आँख पर ए'तिबार हो जाए