Ghazals of Abdul Rahman Ehsan Dehlvi

Ghazals of Abdul Rahman Ehsan Dehlvi
नामअब्दुल रहमान एहसान देहलवी
अंग्रेज़ी नामAbdul Rahman Ehsan Dehlvi

ज़ात उस की कोई अजब शय है

तुम्हारी चश्म ने मुझ सा न पाया

तीर पहलू में नहीं ऐ रुफ़क़ा-ए-पर्वाज़

सुन रख ओ ख़ाक में आशिक़ को मिलाने वाले

सितम सा कोई सितम है तिरा पनाह तिरी

पूछी न ख़बर कभी हमारी

फिर आया जाम-ब-कफ़ गुल-एज़ार ऐ वाइज़

नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा

नहीं सुनता नहीं आता नहीं बस मेरा चलता है

न अदा मुझ से हुआ उस सितम-ईजाद का हक़

म्याँ क्या हो गर अबरू-ए-ख़मदार को देखा

मरते दम नाम तिरा लब के जो आ जाए क़रीब

महफ़िल इश्क़ में जो यार उठे और बैठे

क्यूँ ख़फ़ा तू है क्या कहा मैं ने

कुछ तौर नहीं बचने का ज़िन्हार हमारा

ख़फ़ा मत हो मुझ को ठिकाने बहुत हैं

जान अपनी चली जाए हे जाए से कसू की

हर आन जल्वा नई आन से है आने का

ग़म याँ तो बिका हुआ खड़ा है

ग़ैर के दिल पे तू ऐ यार ये क्या बाँधे है

गली से तिरी जो कि ऐ जान निकला

दोश-ब-दोश दोश था मुझ से बुत-ए-करिश्मा-कोश

दिलबर ये वो है जिस ने दिल को दग़ा दिया है

दिल तो हाज़िर है अगर कीजिए फिर नाज़ से रम्ज़

बाग़ में जब कि वो दिल ख़ूँ-कुन-ए-हर-गुल पहुँचे

आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है

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