Khawab Poetry of Abdullah Kamal

Khawab Poetry of Abdullah Kamal
नामअब्दुल्लाह कमाल
अंग्रेज़ी नामAbdullah Kamal
जन्म की तारीख1948
मौत की तिथि2010
जन्म स्थानMumbai

वो निशाना भी ख़ता जाता तो बेहतर होता

ख़ुश-शनासी का सिला कर्ब का सहरा हूँ मैं

मैं तुझ को जागती आँखों से छू सकूँ न कभी

वादा-ए-वस्ल है लज़्ज़त-ए-इंतिज़ार उठा

इतना यक़ीन रख कि गुमाँ बाक़ी रहे

हसीन ख़्वाब न दे अब यक़ीन-ए-सादा दे

अभी गुनाह का मौसम है आ शबाब में आ

अब्दुल्लाह कमाल ख्वाब Poetry in Hindi - Read famous ख्वाब Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by अब्दुल्लाह कमाल. Largest collection of ख्वाब Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by अब्दुल्लाह कमाल. Share the अब्दुल्लाह कमाल ख्वाब Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.