चमक दे चाँद को ठंडक हवा को दिल को उमंग
उदास क़िस्से को फिर एक शाहज़ादा दे
Habib Jalib
Wasi Shah
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Gulzar
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Rahat Indori
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1077) Peoples Rate This
अपने वजूद से परे अब
हसीन ख़्वाब न दे अब यक़ीन-ए-सादा दे
इक मुसलसल जंग थी ख़ुद से कि हम ज़िंदा हैं आज
इतना यक़ीन रख कि गुमाँ बाक़ी रहे
वो क़यामत थी कि रेज़ा रेज़ा हो के उड़ गया
वो निशाना भी ख़ता जाता तो बेहतर होता
अभी गुनाह का मौसम है आ शबाब में आ
बड़ा मुख़्लिस हूँ पाबंद-ए-वफ़ा हूँ
आओ आज हम दोनों अपना अपना घर चुन लें
क़दम क़दम पे नया इम्तिहाँ है मेरे लिए