ज़मीं के ग़र्ब से सूरज तुलूअ' करता हूँ
ज़मीं के ग़र्ब से सूरज तुलूअ' करता हूँ
और इख़्तिताम का क़िस्सा शुरूअ' करता हूँ
मिरी गली मिरी वहशत समझ नहीं पाई
सो अब तुम्हारी गली से रुजूअ' करता हूँ
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ज़मीं के ग़र्ब से सूरज तुलूअ' करता हूँ
और इख़्तिताम का क़िस्सा शुरूअ' करता हूँ
मिरी गली मिरी वहशत समझ नहीं पाई
सो अब तुम्हारी गली से रुजूअ' करता हूँ
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