ये ऊँट और किसी के हैं दश्त मेरा है
सवार मेरे नहीं सार-बाँ नहीं मेरा
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ये यक़ीं ये गुमाँ ही मुमकिन है
तुझ से वाबस्तगी रहेगी अभी
हम यक़ीनन यहाँ नहीं होंगे
आँखें तरस गई हैं
याद भी तेरी मिट गई दिल से
कहीं टूटते हैं
क़िस्से से तिरे मेरी कहानी से ज़ियादा
हर रुख़ है कहीं अपने ख़द-ओ-ख़ाल से बाहर
तिरी दुनिया के नक़्शे में
गुंजाइश-ए-अफ़्सोस निकल आती है हर रोज़
ये भी तो कमाल हो गया है