आग़ा हज्जू शरफ़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आग़ा हज्जू शरफ़ (page 2)

आग़ा हज्जू शरफ़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आग़ा हज्जू शरफ़ (page 2)
नामआग़ा हज्जू शरफ़
अंग्रेज़ी नामAgha Hajju Sharaf

तिरी गली में जो धूनी रमाए बैठे हैं

तिरे वास्ते जान पे खेलेंगे हम ये समाई है दिल में ख़ुदा की क़सम

तेरे आलम का यार क्या कहना

तलाश-ए-क़ब्र में यूँ घर से हम निकल के चले

सन्नाटे का आलम क़ब्र में है है ख़्वाब-ए-अदम आराम नहीं

सलफ़ से लोग उन पे मर रहे हैं हमेशा जानें लिया करेंगे

रुलवा के मुझ को यार गुनहगार कर नहीं

रंग जिन के मिट गए हैं उन में यार आने को है

रहा करते हैं यूँ उश्शाक़ तेरी याद ओ हसरत में

पुर-नूर जिस के हुस्न से मदफ़न था कौन था

पाया तिरे कुश्तों ने जो मैदान-ए-बयाबाँ

परी-पैकर जो मुझ वहशी का पैराहन बनाते हैं

नाहक़ ओ हक़ का उन्हें ख़ौफ़-ओ-ख़तर कुछ भी नहीं

मौसम-ए-गुल में जो घिर घिर के घटाएँ आईं

लुटाते हैं वो बाग़-ए-इश्क़ जाए जिस का जी चाहे

किस के हाथों बिक गया किस के ख़रीदारों में हूँ

ख़ुदा-मालूम किस की चाँद से तस्वीर मिट्टी की

जो सामना भी कभी यार-ए-ख़ूब-रू से हुआ

जवानी आई मुराद पर जब उमंग जाती रही बशर की

जश्न था ऐश-ओ-तरब की इंतिहा थी मैं न था

जब से हुआ है इश्क़ तिरे इस्म-ए-ज़ात का

इश्क़-ए-दहन में गुज़री है क्या कुछ न पूछिए

इलाही ख़ैर जो शर वाँ नहीं तो याँ भी नहीं

हम हैं ऐ यार चढ़ाए हुए पैमाना-ए-इश्क़

हुए ऐसे ब-दिल तिरे शेफ़्ता हम दिल-ओ-जाँ को हमेशा निसार किया

हुआ है तौर-ए-बर्बादी जो बे-दस्तूर पहलू में

हवस गुलज़ार की मिस्ल-ए-अनादिल हम भी रखते थे

घिसते घिसते पाँव में ज़ंजीर आधी रह गई

फ़स्ल-ए-गुल में है इरादा सू-ए-सहरा अपना

दिल को लटका लिया है गेसू में

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