Hope Poetry of Agha Hajju Sharaf

Hope Poetry of Agha Hajju Sharaf
नामआग़ा हज्जू शरफ़
अंग्रेज़ी नामAgha Hajju Sharaf

मूजिद जो नूर का है वो मेरा चराग़ है

लिक्खा है जो तक़दीर में होगा वही ऐ दिल

ख़ल्वत-सरा-ए-यार में पहुँचेगा क्या कोई

बे-वफ़ा तुम बा-वफ़ा मैं देखिए होता है क्या

वो रंगत तू ने ऐ गुल-रू निकाली

उड़ कर सुराग़-ए-कूचा-ए-दिलबर लगाइए

तीर-ए-नज़र से छिद के दिल-अफ़गार ही रहा

तिरछी नज़र न हो तरफ़-ए-दिल तो क्या करूँ

तिरी हवस में जो दिल से पूछा निकल के घर से किधर को चलिए

तिरी गली में जो धूनी रमाए बैठे हैं

तिरे वास्ते जान पे खेलेंगे हम ये समाई है दिल में ख़ुदा की क़सम

तेरे आलम का यार क्या कहना

सन्नाटे का आलम क़ब्र में है है ख़्वाब-ए-अदम आराम नहीं

सलफ़ से लोग उन पे मर रहे हैं हमेशा जानें लिया करेंगे

रुलवा के मुझ को यार गुनहगार कर नहीं

रंग जिन के मिट गए हैं उन में यार आने को है

रहा करते हैं यूँ उश्शाक़ तेरी याद ओ हसरत में

नाहक़ ओ हक़ का उन्हें ख़ौफ़-ओ-ख़तर कुछ भी नहीं

लुटाते हैं वो बाग़-ए-इश्क़ जाए जिस का जी चाहे

किस के हाथों बिक गया किस के ख़रीदारों में हूँ

ख़ुदा-मालूम किस की चाँद से तस्वीर मिट्टी की

जो सामना भी कभी यार-ए-ख़ूब-रू से हुआ

जवानी आई मुराद पर जब उमंग जाती रही बशर की

जश्न था ऐश-ओ-तरब की इंतिहा थी मैं न था

जब से हुआ है इश्क़ तिरे इस्म-ए-ज़ात का

इश्क़-ए-दहन में गुज़री है क्या कुछ न पूछिए

हुए ऐसे ब-दिल तिरे शेफ़्ता हम दिल-ओ-जाँ को हमेशा निसार किया

हुआ है तौर-ए-बर्बादी जो बे-दस्तूर पहलू में

हवस गुलज़ार की मिस्ल-ए-अनादिल हम भी रखते थे

घिसते घिसते पाँव में ज़ंजीर आधी रह गई

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