आमद आमद है तिरे शहर में किस वहशी की
बंद रहने की जो ताकीद है बाज़ारों को
Wasi Shah
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Gulzar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(961) Peoples Rate This
बुलबुल का दिल ख़िज़ाँ के सदमे से हिल रहा है
तू नहीं मिलती तो हम भी तुझ को मिलने के नहीं
दरपेश अजल है गंज-ए-शहीदाँ ख़रिदिए
घिसते घिसते पाँव में ज़ंजीर आधी रह गई
इश्क़-ए-दहन में गुज़री है क्या कुछ न पूछिए
दिल को अफ़सोस-ए-जवानी है जवानी अब कहाँ
बे-वफ़ा तुम बा-वफ़ा मैं देखिए होता है क्या
तिरी हवस में जो दिल से पूछा निकल के घर से किधर को चलिए
तेज़ कब तक होगी कब तक बाढ़ रक्खी जाएगी
वो रंगत तू ने ऐ गुल-रू निकाली
रंग जिन के मिट गए हैं उन में यार आने को है