बड़े सीधे-साधे बड़े भोले-भाले
कोई देखे इस वक़्त चेहरा तुम्हारा
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कलेजे में हज़ारों दाग़ दिल में हसरतें लाखों
गिरी गिर कर उठी पलटी तो जो कुछ था उठा लाई
मस्कन वहीं कहीं है वहीं आशियाँ कहीं
लो हम बताएँ ग़ुंचा-ओ-गुल में है फ़र्क़ क्या
शाइर-ए-रंगीं फ़साना हो गया
रोने से जो भड़ास थी दिल की निकल गई
जिस ने तुझे ख़ल्वत में भी तन्हा नहीं देखा
क्या ख़बर थी राज़-ए-दिल अपना अयाँ हो जाएगा
रुख़्सार के परतव से बिजली की नई धज है
जब्र को इख़्तियार कौन करे
बुतों के वास्ते तो दीन-ओ-ईमाँ बेच डाले हैं
तुम कहाँ वस्ल कहाँ वस्ल की उम्मीद कहाँ