पीरी में शबाब की निशानी न मिली
अफ़्सोस मताअ-ए-ज़िंदगानी न मिली
जो कुछ खोया था ढूँढ कर फिर पाया
हर चीज़ मिली मगर जवानी न मिली
Gulzar
Habib Jalib
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Wasi Shah
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Rahat Indori
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मैं सर पे गुनाहों का लिए बार आया
यारब मिरे दिल में है उजाला तेरा
आसमाँ खाए तो ज़मीन देखे
मैं ही मोमिन मैं ही काफ़िर मैं ही काबा मैं ही दैर
पैदल न मुझे रोज़-ए-शुमार उन से दे
वो रात आए कि सर तेरा ले के बाज़ू पर
कुछ लुत्फ़-ए-सुख़न वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं
तुम को मालूम जवानी का मज़ा है कि नहीं
मैं अपने कफ़न का सीने वाला निकला
मोहब्बत ने 'माइल' किया हर किसी को
नक़्शा लैल-ओ-नहार का खींचा है
वाइ'ज़ का ए'तिराज़ ये बुत हैं ख़ुदा नहीं