कोई तस्वीर मुकम्मल नहीं होने पाती
धूप देते हैं तो साया नहीं रहने देते
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Rahat Indori
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Anwar Masood
Jaun Eliya
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1459) Peoples Rate This
जहान-ए-इश्क़ से हम सरसरी नहीं गुज़रे
जहाँ डाले थे उस ने धूप में कपड़े सुखाने को
कहीं उम्मीद सी है दिल के निहाँ ख़ाने में
इस माअ'रके में इश्क़ बेचारा करेगा क्या
पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है
इक उम्र की और ज़रूरत है वही शाम-ओ-सहर करने के लिए
संग उठाना तो बड़ी बात है अब शहर के लोग
जो मुक़द्दर था उसे तो रोकना बस में न था
तू अगर पास नहीं है कहीं मौजूद तो है
ये तन्हा रात ये गहरी फ़ज़ाएँ
वहाँ सलाम को आती है नंगे पाँव बहार
चाँद इस घर के दरीचों के बराबर आया