नए दीवानों को देखें तो ख़ुशी होती है
हम भी ऐसे ही थे जब आए थे वीराने में
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वो वक़्त भी आता है जब आँखों में हमारी
यही दुनिया थी मगर आज भी यूँ लगता है
हाथ से नापता हूँ दर्द की गहराई को
पता अब तक नहीं बदला हमारा
वहाँ सलाम को आती है नंगे पाँव बहार
इक रात चाँदनी मिरे बिस्तर पे आई थी
मोनिस-ए-दिल कोई नग़्मा कोई तहरीर नहीं
अब न बहल सकेगा दिल अब न दिए जलाइए
नींदों में फिर रहा हूँ उसे ढूँढता हुआ
हर लम्हा ज़ुल्मतों की ख़ुदाई का वक़्त है
इश्क़ में कौन बता सकता है
दिलों की ओर धुआँ सा दिखाई देता है