Islamic Poetry of Ahmad Nadeem Qasmi

Islamic Poetry of Ahmad Nadeem Qasmi
नामअहमद नदीम क़ासमी
अंग्रेज़ी नामAhmad Nadeem Qasmi
जन्म की तारीख1916
मौत की तिथि2006
जन्म स्थानLahore

मिरे ख़ुदा ने किया था मुझे असीर-ए-बहिश्त

ख़ुदा करे कि तिरी उम्र में गिने जाएँ

ख़ुद को तो 'नदीम' आज़माया

क़रिया-ए-मोहब्बत

पस-ए-आईना

फ़न

दुआ

बीसवीं सदी का इंसान

उम्र भर उस ने इसी तरह लुभाया है मुझे

तंग आ जाते हैं दरिया जो कुहिस्तानों में

शुऊर में कभी एहसास में बसाऊँ उसे

साँस लेना भी सज़ा लगता है

मुदावा हब्स का होने लगा आहिस्ता आहिस्ता

मैं किसी शख़्स से बेज़ार नहीं हो सकता

लबों पे नर्म तबस्सुम रचा के धुल जाएँ

खड़ा था कब से ज़मीं पीठ पर उठाए हुए

जो लोग दुश्मन-ए-जाँ थे वही सहारे थे

जी चाहता है फ़लक पे जाऊँ

हर लम्हा अगर गुरेज़-पा है

इक मोहब्बत के एवज़ अर्ज़-ओ-समा दे दूँगा

अंदाज़ हू-ब-हू तिरी आवाज़-ए-पा का था

अजब सुरूर मिला है मुझे दुआ कर के

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