जिस्म भूका है तो है रूह भी प्यासी मेरी
काम ऐसा है कि दिन रात का कारिंदा हूँ
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मैं बात करने लगा था कि लफ़्ज़ गूँगे हुए
बहुत छोटा सफ़र था ज़िंदगी का
ज़माना हो गया है ख़्वाब देखे
मैं ने भी बच्चों को अपनी निस्बत से आज़ाद किया
एक बच्चा ज़ेहन से पैसा कमाने की मशीन
शब-ओ-रोज़ नख़्ल-ए-वजूद को नया एक बर्ग-ए-अना दिया
इमरोज़ की कश्ती को डुबोने के लिए हूँ
मेरी रातों का सफ़र तूर नहीं हो सकता
लफ़्ज़ जब उतरा मिरी आँखें मुनव्वर हो गईं
पॉप धमाके में हम भक्ती ढूँड रहे हैं
मैं ख़ुद अपने आप से हूँ बेगाना सा