मैं इकतिशाफ़ की हिजरत बहिश्त से लाया
मिरी तलाश में मेरा मक़ाम लिक्खा था
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है वाहिमों का तमाशा यहाँ वहाँ देखो
ज़माना हो गया है ख़्वाब देखे
अल्लाह वाला एक क़बीला मेरी निस्बत
बग़ैर-ए-जिस्म भी है जिस्म का एहसास ज़िंदा
पॉप धमाके में हम भक्ती ढूँड रहे हैं
एक बच्चा ज़ेहन से पैसा कमाने की मशीन
ये वक़्त रौशनी का मुख़्तसर है
फिर इस के ब'अद पत्थर हो गया आँखों का पानी
नौ-जवानों का क़बीला उस के पीछे चल पड़ा
दश्त-ए-उम्मीद में ख़्वाबों का सफ़र करना था
जिस्म के बयाबाँ में दर्द की दुआ माँगें
लफ़्ज़ जब उतरा मिरी आँखें मुनव्वर हो गईं