Bewafa Poetry of Akhtar Shirani

Bewafa Poetry of Akhtar Shirani
नामअख़्तर शीरानी
अंग्रेज़ी नामAkhtar Shirani
जन्म की तारीख1905
मौत की तिथि1948
जन्म स्थानLahore

काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें

इन वफ़ादारी के वादों को इलाही क्या हुआ

ऐ इश्क़ कहीं ले चल

ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर

ज़मान-ए-हिज्र मिटे दौर-ए-वस्ल-ए-यार आए

वादा उस माह-रू के आने का

उस मह-जबीं से आज मुलाक़ात हो गई

कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता

किस की आँखों का लिए दिल पे असर जाते हैं

काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें

दिल-ए-दीवाना ओ अंदाज़-ए-बेबाकाना रखते हैं

आश्ना हो कर तग़ाफ़ुल आश्ना क्यूँ हो गए

आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या

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