Sufi Poetry of Akhtar Shirani

Sufi Poetry of Akhtar Shirani
नामअख़्तर शीरानी
अंग्रेज़ी नामAkhtar Shirani
जन्म की तारीख1905
मौत की तिथि1948
जन्म स्थानLahore

दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िंदगी

नज़्र-ए-वतन

बस्ती की लड़कियों के नाम

वो कहते हैं रंजिश की बातें भुला दें

वो कभी मिल जाएँ तो क्या कीजिए

उस मह-जबीं से आज मुलाक़ात हो गई

मोहब्बत की दुनिया में मशहूर कर दूँ

ख़यालिस्तान-ए-हस्ती में अगर ग़म है ख़ुशी भी है

ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए

आश्ना हो कर तग़ाफ़ुल आश्ना क्यूँ हो गए

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