Coupletss of Akhtar Shirani

Coupletss of Akhtar Shirani
नामअख़्तर शीरानी
अंग्रेज़ी नामAkhtar Shirani
जन्म की तारीख1905
मौत की तिथि1948
जन्म स्थानLahore

ज़िंदगी कितनी मसर्रत से गुज़रती या रब

याद आओ मुझे लिल्लाह न तुम याद करो

वो अगर आ न सके मौत ही आई होती

उठते नहीं हैं अब तो दुआ के लिए भी हाथ

उस के अहद-ए-शबाब में जीना

उन रस भरी आँखों में हया खेल रही है

उम्र भर की तल्ख़ बेदारी का सामाँ हो गईं

थक गए हम करते करते इंतिज़ार

तमन्नाओं को ज़िंदा आरज़ूओं को जवाँ कर लूँ

रात भर उन का तसव्वुर दिल को तड़पाता रहा

पलट सी गई है ज़माने की काया

मुझे है ए'तिबार-ए-वादा लेकिन

मुझे दोनों जहाँ में एक वो मिल जाएँ गर 'अख़्तर'

मुद्दतें हो गईं बिछड़े हुए तुम से लेकिन

मुबारक मुबारक नया साल आया

मोहब्बत के इक़रार से शर्म कब तक

मिट चले मेरी उमीदों की तरह हर्फ़ मगर

माना कि सब के सामने मिलने से है हिजाब

लॉन्ड्री खोली थी उस के इश्क़ में

कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता

कुछ इस तरह से याद आते रहे हो

कूचा-ए-हुस्न छुटा तो हुए रुस्वा-ए-शराब

किया है आने का वादा तो उस ने

किसी मग़रूर के आगे हमारा सर नहीं झुकता

ख़फ़ा हैं फिर भी आ कर छेड़ जाते हैं तसव्वुर में

काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें

काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें

इश्क़ को नग़्मा-ए-उम्मीद सुना दे आ कर

इन्ही ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा

इन वफ़ादारी के वादों को इलाही क्या हुआ

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