Coupletss of Akhtar Shirani (page 2)
नाम | अख़्तर शीरानी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Shirani |
जन्म की तारीख | 1905 |
मौत की तिथि | 1948 |
जन्म स्थान | Lahore |
कविताएं
Ghazal 38
Nazam 17
Couplets 46
Rubaai 3
Qita 1
Love 69
Sad 68
Heart Broken 56
Bewafa 13
Hope 42
Friendship 7
Islamic 16
Sufi 10
देशभक्तिपूर्ण 7
बारिश 9
ख्वाब 34
Sharab 30
है क़यामत तिरे शबाब का रंग
ग़म-ए-ज़माना ने मजबूर कर दिया वर्ना
ग़म-ए-आक़िबत है न फ़िक्र-ए-ज़माना
ग़म अज़ीज़ों का हसीनों की जुदाई देखी
इक वो कि आरज़ुओं पे जीते हैं उम्र भर
इक दिन की बात हो तो उसे भूल जाएँ हम
दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िंदगी
दिल में लेता है चुटकियाँ कोई
चमन में रहने वालों से तो हम सहरा-नशीं अच्छे
भुला बैठे हो हम को आज लेकिन ये समझ लेना
बजा कि है पास-ए-हश्र हम को करेंगे पास-ए-शबाब पहले
ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए
अब वो बातें न वो रातें न मुलाक़ातें हैं
अब तो मिलिए बस लड़ाई हो चुकी
अब जी में है कि उन को भुला कर ही देख लें
आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या