उन के क्या रंग थे अब याद नहीं है मुझ को
कितने आँचल मिरी तख़ईल में लहराए हैं
हाए भूले हुए चेहरों के दिल-आवेज़ नुक़ूश
झिलमिलाते हुए अश्कों में झलक आए हैं
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Gulzar
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Rahat Indori
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ये हुकूमत के पुजारी हैं ये दौलत के ग़ुलाम
आ तेरे होंट चूम लूँ ऐ मुज़्दा-ए-नजात
वुफ़ूर-ए-शौक़ की रंगीं हिकायतें मत पूछ
बहुत बर्बाद हैं लेकिन सदा-ए-इंक़लाब आए
नींद
शबों की ज़ुल्फ़ की रू-ए-सहर की ख़ैर मनाओ
क़त्ल-ए-आफ़्ताब
गुफ़्तुगू (हिन्द पाक दोस्ती के नाम)
चश्म-ए-बीना में सितारों की हक़ीक़त क्या है
हवा-ए-सुब्ह-ए-मशरिक़ जाग उठी है
सर्द हैं दिल आतिश-ए-रू-ए-निगाराँ चाहिए
ख़िरद वालो जुनूँ वालों के वीरानों में आ जाओ