दम-ए-आरिफ़ नसीम-ए-सुब्ह-दम है
इसी से रेशा-ए-मअनी में नम है
अगर कोई शुऐब आए मयस्सर
शबानी से कलीमी दो क़दम है
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हर शय मुसाफ़िर हर चीज़ राही
बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम
हज़ार ख़ौफ़ हो लेकिन ज़बाँ हो दिल की रफ़ीक़
मता-ए-बे-बहा है दर्द-ओ-सोज़-ए-आरज़ूमंदी
दिगर-गूँ है जहाँ तारों की गर्दिश तेज़ है साक़ी
है याद मुझे नुक्ता-ए-सलमान-ए-ख़ुश-आहंग
अगर कज-रौ हैं अंजुम आसमाँ तेरा है या मेरा
रगों में वो लहू बाक़ी नहीं है
मैं तुझ को बताता हूँ तक़दीर-ए-उमम क्या है
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्ताँ वालो
नहीं मक़ाम की ख़ूगर तबीअत-ए-आज़ाद
यक़ीं मिस्ल-ए-ख़लील आतिश-नशीनी